तो उठ अभी और ले दहाड़, तोड़ हर बुराई का पहाड़! तो उठ अभी और ले दहाड़, तोड़ हर बुराई का पहाड़!
वो स्त्री ही है जो पर्दे के पीछे रह कर अपने दुःखों को छिपाती है ! वो स्त्री ही है जो पर्दे के पीछे रह कर अपने दुःखों को छिपाती है !
गृहस्थ जीवन की शान है इसी रिश्ते से निर्मित , परिवार ,समाज और संसार है। गृहस्थ जीवन की शान है इसी रिश्ते से निर्मित , परिवार ,समाज और संसार है।
नाज़ है इस कोख पे अपनी, जो अपना अस्तित्व वो जी गई! नाज़ है इस कोख पे अपनी, जो अपना अस्तित्व वो जी गई!
महिला का सम्मान करो, महिला की इज्जत तुम करो! महिला का सम्मान करो, महिला की इज्जत तुम करो!
एक कहानी आपको सुनता हूँ, एक लड़की इसमे होती है! एक कहानी आपको सुनता हूँ, एक लड़की इसमे होती है!